वी लव... वी लव... गौती
जिनका नाम ही नहीं स्वाभाव भी गंभीर है लेकिन फिर भी वह लाखों भारतीयों के चेहरों पर हज़ारों बार मुस्कान की वजह बन चुके है। ये है गौतम गंभीर के जीवन की शानदार पारी का सफर, जिसमें अभी कई नए पन्ने जुड़ना बाकी है!
2011 वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में जब वीरेंद्र सहवाग जीरो पर आउट हो गए और सचिन तेंदुलकर ने सिर्फ 18 रन बनाए तो सबके चेहरे पर शिकन थी कि श्रीलंका द्वारा दिया गया 274 रन का टारगेट कैसे पूरा किया। कुछ देर पहले तक जो टारगेट हासिल करना भारत की टीम के लिए बच्चों का खेल था अचानक से बहुत बड़ा लगने लगा। सहवाग के आउट होने के बाद भारत की ओर से मैदान पर उतरे गौतम गंभीर और सचिन के आउट होने के बाद विराट खेलने आए लेकिन उस मैच में विराट भी केवल 35 रन ही बना पाए। इस मैच के हीरो बन कर उभरे गौतम गंभीर और एमएस धोनी। जिन गेंदबाज़ों के खिलाफ बड़े बड़े धुरंधर धाराशाही हो गए थे उनके खिलाफ गंभीर ने भारत के लिए बेशकीमती 97 रन बनाए। गंभीर और धोनी की जोड़ी ने उस दिन कमाल कर दिया।
14 अक्टूबर 1981 को जन्मे गौतम, जिन्हें उनकी नानी प्यार से गौती बुलाती हैं, ने कई बार क्रिकेट के मैदान में भारतीय टीम की डूबती नैय्या को पार लगाया है। हालांकि गौतम की बचपन से ही खेलों में रुचि थी, लेकिन खिलाड़ी बनने की राह में उनके लिए 90 का दशक सबसे महत्वपूर्ण था। जब वह अपने मामा के साथ रहने उनके घर गए। क्रिकेट प्रेमी गंभीर को क्रिकेट का खिलाड़ी बनाने में उनके मामा पवन गुलाटी का बहुत बड़ा योगदान है।
यह तो सभी जानते हैं कि गंभीर हार बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2007 का वर्ल्ड कप है।
बात उन दिनों की है जब टी20 वर्ल्ड कप का लोगों में ज्यादा क्रेज नहीं था लेकिन गंभीर ने लोगों का टी 20 वर्ल्ड कप को देखने का नज़रिया बदल दिया। इस मैच में भारत की तरफ से सभी नौजवान खिलाड़ी मैदान में उतरे थे। सचिन, सहवाग जिन्हें उस समय टीम की रीढ़ की हड्डी माना जाना था इस वर्ल्ड कप के लिए नहीं खेल रहे थे।
गंभीर की ज़िन्दगी का यह पहला वर्ल्ड कप था लेकिन पहले ही मैच में वो पाकिस्तान के खिलाफ शून्य पर आउट हो गए। यह उनके लिए इस वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा सदमा भी था और सबक भी लेकिन इस हार की भरपाई उन्होंने देश को वर्ल्ड कप जीता कर की। फाइनल मैच में पाकिस्तान के गेंदबाज़ फॉर्म में थे लेकिन उसके बावजूद गंभीर ने 75 रन बनाए। उनके अलावा दोनों टीमों का कोई भी खिलाड़ी 50 रन बनाने में भी कामयाब नहीं हो पाया था। उनकी बेहतरीन पारी के बावजूद भारत केवल 157 रन का टारगेट ही दे पाया लेकिन देश के गेंदबाज़ों ने पाकिस्तान की 19.3 ओवर में पूरी टीम को आउट कर दिया। यह मैच इतना रोमांचक और एक्शन से भरपूर था की दुनिया देखती रह गयी।
एक दौर में भारत के सर्वोच्च बल्लेबाज़ रहे गौतम को उनके गंभीर स्वाभाव के लिए और खरी भाषा के लिए भी जाना जाता है। अक्सर वह कुछ ऐसी बातें बोल देते है जो विवाद पैदा कर देती है लेकिन उन्हीं के लिए गंभीर को जाना जाता है।
गंभीर ने अपने शानदार करियर में 4154 टेस्ट रन, 5238 वन-डे और 932 टी-20 रन बनाए है। उनकी कप्तानी में कोलकाता नाइट राइडर्स दो बार आईपीएल जीती है जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
वर्ष 2018 उनके जीवन के सबसे कठिन समयों में से एक था क्यूंकि इस वर्ष उन्होंने क्रिकेट से संन्यास ले लिया। यह एक बहुत बड़ा फैसला था, अपने इस फैसले के बारे में उन्होंने कहा "सबसे मुश्किल फ़ैसले बेहद भारी मन के साथ लिए जाते हैं और भारी मन के साथ मैंने वह घोषणा करने का फ़ैसला किया है, जिसके बारे में ज़िंदगी भर डरता रहा हूं।"
क्रिकेट के बाद अगली पारी गंभीर ने राजनीति में खेली और जीती भी। भाजपा से जुड़ने के बाद वह पूर्वी दिल्ली से सासंद बने। क्रिकेटर के तौर पर उनकी पारी ख़त्म हो चुकी है लेकिन राजनेता के तौर पर उनकी पारी अभी चल रही है।
गौतम गंभीर को एक खिलाड़ी और राजनेता के रूप में तो सभी जानते हैं लेकिन उनके सामाजिक कार्यों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। उन्होंने जन रसोई की शुरुआत की जिसके माध्यम से 2000 से भी अधिक लोगों को रोज़ मुफ़्त में खाना खिलाया जाता है। इसके अलावा उनकी एक संस्था है जिसका नाम है पंख। यह संस्था शहीदों के बच्चों के जीवन को सुधारने के लिए जानी जाती है। उनकी खाने पीने से लेकिन उनकी मानसिक स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी भी वही उठाते है। 2020 में उन्होंने अपनी नानी के जन्मदिन पर उन 25 लड़कियों की जिम्मेदारी ली जिनकी माँ जीटीबी रोड(दिल्ली) पर सेक्स वर्कर का काम करती है। उनके इन कदमों की जितनी तारीफ़ की जाए उतनी कम है।