संत प्रहलाद जानी: आध्यात्म और विज्ञान के रहस्य से जुड़ी एक कहानी
हमारे भारत में आध्यात्म एक विषय रहा है जिसे विज्ञान ने जितना सुलझाने का प्रयास किया उतना ही विज्ञान इस गुत्थी को सुलझाने में असर्मथ रहा। आध्यात्म की चमत्कारिक शाक्ति को केवल भक्ति से परिपूर्ण व्यक्ति ही समझ सकता है। आइए एक ऐसे संत की कहानी जानते है जिनकी आध्यात्मिक शाक्तियों का रहस्य वैज्ञानिक भी नहीं जान पाए है।
इश्किया गजनान मंदिर: लगाई जाती है जहां इश्क की अर्जियां
हमारे भारत में प्रेमी जोड़े अपने अधूरे प्रेम को सार्थक बनाने के लिए भगवान शिव की पूजा अवश्य करते हैं या इच्छित वर की प्राप्ति हेतु सोलह सोमवार का व्रत भी रखते हैं। लेकिन जोधपुर में इश्किया गजानन नामक एक मंदिर है, जिसमें अधूरी प्रेम कहानी को पूरा करने का कार्य विघ्नहर्ता श्री गणेश करते हैं। इस मंदिर में भगवान श्री गणेश प्रेमी जोड़ों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
कन्यारकली: मां भगवती की भक्ति और मार्शल आर्ट की कहानी
हमारे भारत में दैवी की स्तुति करने के लिए बहुत सारे नृत्य अनुष्ठान किए जाते हैं लेकिन एक नृत्य ऐसा भी है, जिसका उदय युद्ध के दौरान के हुआ था। इस नृत्य को कन्यारकली के नाम से जाता है। आधुनिक समय में इसे मार्शल आर्ट की एक अद्भुत कला के रुप में भी जाना जाता है। केरल के भगवती मंदिरों में इस नृत्य कला को किया जाता है। इस नृत्य में भक्ति और कला का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।
कुंडे हब्बा: दैवीय शक्तियों को गाली देने वाले जनजातीय त्यौहार की कहानी
हमारे देश में बहुत सारे त्यौहार ऐसे हैं जिसमें दैवीय शक्तियों की पवित्रता के साथ पूजा करने की मान्यता हैं। लेकिन जनाब आप सभी को जानकर थोड़ी हैरानी होगी कि हम भारत में रहते हैं, यहां आपको हैरान कर देने वाली कुछ ऐसी परम्पराओं,त्यौहारों और अनुष्ठान के बारें में पता चलेगा,जिसे सुनकर शायद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाए कि क्या कोई त्यौहार ऐसा भी हो सकता हैं, जिसमें दैवीय शक्तियों को गाली देने की मान्यता हो? कर्नाटक की कुरूबा जनजाति इस त्यौहार को बेहद अजीब ढंग से मनाती है जो दुनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण का एक केंद्र बिंदु हैं।
सरपम थुल्लल: सांपों के नृत्य की कहानी
अगर आप केरल के किसी भी गांव,कस्बे और शहर में चले जाए,वहां आपको लोगों के मन में सांपों के लिए एक असीमित भक्तिमय प्रेम नज़र आएगा। वहां के घरों और मंदिरों में सांपों के प्रति भक्ति की गूंज आपको हमेशा सुनाई देगी। ऐसे ही एक दैवीय नृत्य की कहानी आपको बताने वाले हैं जिसमें सांपों के देवता यानी नाग देवता की पूजा करने के लिए एक भव्य नृत्य सरपम थुल्लल किया जाता है।
कोया जनजाति के संघर्ष की कहानी
कोया जनजाति तेलंगाना की सबसे बड़ी आदिवासी जनजाति हैं जिसने अपनी भाषा और संस्कृति को बचाने के लिए गोंडी भाषा दिवस मनाया। इन्होंने पहल भी की कि गोंडी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में जल्द से जल्द शामिल किया जाए। आइए जानते है इस जनजाति की परम्परांए,सभ्यता और संस्कृति जिसे संरक्षित करने हेतु ये लोग आज भी जागरुक हैं।
रबारी जाति जिनसे जुड़ी हैं शिव-पार्वती की पौराणिक की कहानी
हमारे देश की जातियों का संबंध भी पौराणिक कथाओं से भी रहा हैं। राजस्थान और गुजरात की रबारी जाति हैं जो इतिहास में अपनी वीरता के लिए भी जानी जाती हैं। इसके अलावा इनका संबंध शिव-पार्वती की कहानी से भी है।आइए जानते है इनसे जुड़ा गौरवशाली इतिहास, जीवनशैली,परम्परा और पौराणिक कहानी,जिससे शायद ही आप परिचित हो।
कोली जाति: अदम्य वीरता और साहस की कहानी
हमारे भारत में कुछ ऐसी जातियां भी हैं जो इतिहास में अपनी अदम्य वीरता और साहस की स्वर्णिम छाप छोड़कर गई हैं। आज हम आपको अदम्य साहस और वीरता का परिचय देने वाले कोली जाति की कहानी बताने वाले हैं जिन्होंने अपने मजबूत इरादों के बल पर मुगलों और अंग्रेजों से लोहा लिया और हमारे स्वर्णिम इतिहास में अपनी जगह बनाई।
न्यीशी जनजाति: बहुपत्नी प्रथा, आध्यात्मिकता और पर्यावरण प्रेम
भारत में ऐसी बहुत-सी जनजाति है जिनकी खास परम्परांए, सभ्यतांए और संस्कृति लोगों को इनके बारें में जानने के लिए उत्सुक बनाती हैं। बहुत-सी जनजाति और कबीले ऐसे है जिनकी सभ्यता और संस्कृति आज भी जीवंत है। ऐसी ही एक न्यीशी जनजाति है जिसका संबध अरुणाचल प्रदेश से है और इस जनजाति में बहुपत्नी प्रथा को मान्यता प्राप्त है।
मोनपा जनजाति: हिमालय क्षेत्र की परम्पराएं,रीति-रिवाज और मान्यताओं की कहानी
हमारे भारत के हिमालयी क्षेत्रों में ऐसे बहुत-सी जनजातियां बसी हुई हैं जिनके रीति-रिवाज, मान्यताएं और संघर्षमय जीवनशैली पूरी दुनिया के लिए आकर्षक का केंद्र बिंदु हैं। आइए जानते है अरुणाचल प्रदेश की मोनपा जनजाति की कहानी जिनकी हिमालयी जीवनशैली और परम्परा पर एक फिल्म भी बनी थी।