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Stories 2023

कांतार वराह रूप की कहानी

'कांतारा' मूवी कन्नड़ से लेकर हिंदी दर्शकों तक अपनी बेहद खास जगह बना चुकी हैं। यह साउथ से लेकर बॉलीवु़ड में भी अत्याधिक आकर्षण का केंद्र बिंदु रही। इसका कारण एकमात्र यहीं रहा हैं कि इसने भारत के ऐसे हिस्से की संस्कृति तथा दैवीय रीति-रिवाज को उजागर किया जिससे काफी दर्शक अवगत नही थे। मूवी में स्थानीय लोगों की जमीनी समस्याओं, आस्था, दैवीय विधि- विधान , दिनचर्या के मुद्दों को उठाया गया हैं। ज़मीनी स्तर पर जुड़कर कर्नाटक के स्थानीय लोगों की आस्था की कहानी को दिखाया गया हैं जो पंजुरली देवता पर आधारित हैं। इस देवता को विष्णु के वराह अवतार का स्वरूप माना जाता हैं। स्थानीय लोगों की आस्था अपने देवता इतनी हैं कि वह मानते हैं कि उनके देवता जड़ ,जमीन तथा प्रकृति की रक्षा करेंगे। दक्षिण भारत में ऐसे बहुत से हिस्से हैं जहां दैवीय शक्तियों पर लोग अपनी आस्था रखते हैं और अपनी सभी समस्याओं का सामाधान उन पर छोड़ देते हैं। इस देवता का आह्वाहन भूता कोला अनुष्ठान के माध्यम से किया जाता हैं। अपनी कहानी में भारत के ऐसे ही हिस्सों की संस्कृति तथा दैवीय अनुष्ठान को उजागर करने वाले है। इसके अतिरिक्त पौराणिक मान्यताओं के आधार पर विष्णु के वराह अवतार की कहानी के विषय में बताने वाले हैं। 'कांतारा' मूवी ने लोगों तथा सरकार पर अपना जो प्रभाव छोड़ा हैं उसका भी उल्लेख करेंगे।

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