18 शवों में से प्रधानमंत्री कौन?
21 मई 1991 को हुए एक बम धमाके की आवाज़ से पूरा देश धहक उठा। सोनिया गांधी की चीखों ने पूरे देश को रुला दिया। सब दुखी थे किसी ने अपना पति खोया था, किसी ने अपना पिता, किसी ने अपना नेता और किसी ने अपना भावी प्रधानमंत्री।
लोकसभा चुनावों का दौर था सभी राजनैतिक पार्टिया जोर शोर से अपनी अपनी पार्टी का प्रचार कर रही थी, अचानक सभी अखबारों और न्यूज़ चैनलों पर आई एक बम धमाके की खबर ने पूरे देश को हिला कर रख दिया क्योंकि देश के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी इस हमले में चल बसे।
पूरा देश शोक के माहौल में डूबा हुआ था। महीनों तक यह ख़बर अखबारों की सुर्खियां बनी रही। कोई नहीं समझ पा रहा था कि आखिर क्यों और कैसे ये बम धमाका हुआ।
दो दिन जाँच होने के बाद जब रिपोर्ट आई तो जैसे पूरे देश के पैरों के नीचे से ज़मीन ही खिसक गई। पता चला कि यह बम धमाका एक सोची समझी साजिश थी।
लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) आतंकवादियों ने राजीव गांधी के खिलाफ यह साजिश रची थी।
फ़ोरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट के डायरेक्टर पी. चन्द्रशेखर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा - बम को बेल्ट की तरह से एक औरत ने पहन रखा था।
उस औरत ने हरे रंग का सलवार-कुरता पहना हुआ था। जब बम फटा उस वक़्त वो राजीव गाँधी के पैर छूने के लिए झुक रही थी।
इस बम धमाके में 18 लोगों की मौत हुई थी। 18 शवों में से राजीव गांधी का शव कौन सा है, यह पता करना मुश्किल था क्योंकि शवों की हालत ऐसी थी की उन्हें पहचान पाना संभव नहीं था।
धमाके के दौरान वो महिला राजीव गांधी के पैर छूने के लिए झुकी थी जिसके कारण राजीव गांधी का चेहरा पूरी तरह से खराब हो गया था। उनके चेहरे की हड्डियां 100 मीटर से भी ज़्यादा दूर तक गिरी थी। उनके शव की पहचान सबसे पहले उनके जूतों से की गई थी।
गांधी परिवार के लिए तो जैसे यह उनकी जीवित अर्थी उठने समान था। सोनिया गांधी कभी नहीं चाहती थी की राजीव गांधी राजनीति में आये। उनकी मृत्यु के बाद सोनिया गांधी ने एक इंटरव्यू में कहा -
'मुझे लगा कि उन्हें राजीव मिल जायेंगे...और वे उसे मार देंगे। ऐसा ही हुआ भी।'
सोनिया की जीवनी लिखने वाले रशीद किदवई ने अपनी पुस्तक में इस दर्दनाक घटना के बारे में बताते हुए लिखा, " फ़ोन चेन्नई से था और इस बार फ़ोन करने वाला हर हालत में जॉर्ज या मैडम से बात करना चाहता था। उसने कहा कि वो ख़ुफ़िया विभाग से है। हैरान परेशान जॉर्ज ने पूछा राजीव कैसे हैं? दूसरी तरफ़ से पाँच सेकेंड तक शांति रही, लेकिन जॉर्ज को लगा कि ये समय कभी ख़त्म ही नहीं होगा। वो भर्राई हुई आवाज़ में चिल्लाए तुम बताते क्यों नहीं कि राजीव कैसे हैं? फ़ोन करने वाले ने कहा, सर वो अब इस दुनिया में नहीं हैं और इसके बाद लाइन डेड हो गई।"
ये दुखद ख़बर सुन कर जॉर्ज तेजी से सोनिया गांधी के कमरे की तरफ़ मैडम मैडम करते हुए भागे। उनकी आवाज़ सुन कर सोनिया गांधी बाहर आई। रशीद ने अपनी किताब में बताया की जॉर्ज ने अपनी कपती आवाज़ में सोनिया गांधी से कहा "मैडम चेन्नई में एक बम हमला हुआ है।"
सोनिया गांधी ने सकपका कर पूछा "इज़ ही अलाइव?" जॉर्ज की चुप्पी ने सोनिया को सब कुछ बता दिया। रशीद ने अपनी किताब में लिखा - "इसके बाद सोनिया को बदहवासी का दौरा पड़ा और 10 जनपथ की दीवारों ने पहली बार सोनिया की चीख़ें सुना। वो इतनी ज़ोर से रो रही थीं कि बाहर के गेस्ट रूम में धीरे-धीरे इकट्ठे हो रहे कांग्रेस नेताओं को वो आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी।
21 मई 1991 की वो रात अपने साथ जो तूफ़ान लाई थी उसमें गांधी परिवार का चिराग़ बुझ गया और तबाह हो गए उन सभी देश वासियों के सपने जो राजीव गांधी को अपने भावी प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे थे। इसके बाद कांग्रेस चुनाव जीती तो सही लेकिन इतिहास में यह किसी पार्टी की पहली जीत होगी जब पार्टी के सभी कार्यकर्ताओ की आँखें नम थी।