हर मुश्किल से जीतने वाला आज जिंदगी से हार गया
आग में कूद कर अपने प्यार को बचाना हो, बेटे के ड्रग्स से छुटकारा दिलवाना हो या जेल से, लोगों के हज़ारों किलो मीटर की पैदल यात्रा हो, या फिर अपने असूलों के लिए सांसद के पद से इस्तीफा देना हो, सुनील दत्त कभी नहीं हारे लेकिन 2005 में आज के दिन वो जिंदगी से हार गए।

सुनील दत्त; स्रोत: जागरण
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ज़िंदगी की राह में मैं उन कहानियों की खोज़ में हूँ जिनमें ना कोई नकलीपन हो और ना ही कल्पना, अगर कुछ हो तो केवल हक्कीकत, ज़िंदगी के असल अनुभव और इतिहास के पन्नों मे छुपे अमर किस्से।