कार्तिक दीपम

यह त्यौहार हिंदू परंपरा के अनुसार उस दिन मनाया जाता है जब चंद्रमा और पूर्णिमा का सहयोग कार्तीगई से मेल खाता दिखाई देता है। यह संयोग अंतरिक्ष में 6 ग्रहों के मेल से बनता है। इसका अपना बेहद अधिक महत्व है। इन्हें आप 6 नक्षत्रों के जरिए भी समझ सकते हैं ।
कार्तिक दीपम

कार्तिक दीपम. Image source- Ashtrodevam

कार्तिक दीपम, कार्थीगाई दीपम या दीपम उत्सव दक्षिण भारत का एक प्रमुख उत्सव है। प्रमुख रूप से दक्षिण भारत के तमिल और तेलुगु समुदाय के बीच ही ये उत्सव बड़े धूमधाम से हर साल मनाया जाता है। यह एक हिंदू त्यौहार है, कार्तिक दीपम मुख्य रूप से तमिल समुदाय के लोग ज्यादा धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन इनके साथ साथ पड़ोसी राज्य जैसे कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, केरल में भी इस उत्सव को वार्षिक त्योहार के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। अगर आप उत्तर भारत से है तो आप इस त्यौहार को दिवाली से जोड़कर देख सकते हैं। जैसे उत्तर भारत में दिवाली का त्यौहार बेहद महत्वपूर्ण है। उसी तरह से दक्षिण भारत में कार्तिक दीपम का बहुत अधिक महत्व है। यह त्यौहार कार्तिक मास में मनाया जाता है। इसीलिए इसे कार्थीगाई दीपम या कार्तिक दीपम कहते हैं।

यह त्यौहार हिंदू परंपरा के अनुसार उस दिन मनाया जाता है जब चंद्रमा और पूर्णिमा का सहयोग कार्तीगई से मेल खाता दिखाई देता है। यह संयोग अंतरिक्ष में 6 ग्रहों के मेल से बनता है। इसका अपना बेहद अधिक महत्व है। इन्हें आप 6 नक्षत्रों के जरिए भी समझ सकते हैं । इन 6 नक्षत्रों को लेकर कई कविताएं और कहानियां हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखी गई है। हिंदू मान्यताएं कहती है कि आकाश में 6 आकाशीय देवी है। जिन्होंने अलग-अलग शिशुओं को पाल पोस कर बड़ा किया है। ये शिशु बाद में मिलकर 6 चेहरे के भगवान के रूप में प्रकट हुए थे। इन्हें ह़ी भगवान शिव के प्रथम पुत्र कार्तिक कहा जाता है। और कार्तिक दीपम दीपक से भगवान कार्तिक का बहुत बड़ा संबंध है। इस दिन इनकी पूजा भी की जाती है।

भगवान कार्तिक को मुरूगन भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताएं बताती हैं कि मुरूगन को भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र से प्रकट किया था। यह अलग अलग है नक्षत्र के रूप में प्रकट हुए थे। बाद में मिलकर कार्तिक के रूप में सामने आए। इन नक्षत्रों के नाम अघोरम, वामदेव, अधोमुख ईशान, तत्पुरुष और सद्धोजातम है। भगवान कार्तिकेय या फिर मुरूगन को इन 6 नामों से भी जाना जाता है। इसलिए अगर आप भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करना चाहते हैं। तो इन 6 नक्षत्रों में उनकी पूजा की जाती है। साथ ही कार्तिक दीपम के दिन पंक्ति में दीप जलाकर पूरे घर में उजाला किया जाता है। इस दिन अगर दक्षिण भारत की ओर चले जाएं तो वहां का कोई एक ऐसा कोना नहीं होगा जहां दीप जलते ना दिखाई दे। कार्तिक दीपम को आप भगवान कार्तिकेय की जयंती भी कह सकते। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के दिन से होती है। तमिल पंचांग के अनुसार इसे मनाया जाता है। इस दिन दीपदान और मेले जैसे उत्सव भी लगते हैं। इसे आप दक्षिण भारत की प्रमुख दिवाली कह सकते है।

9 likes

 
Share your Thoughts
Let us know what you think of the story - we appreciate your feedback. 😊
9 Share