कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य का विश्व दिवस
इस बात से बिल्कुल भी इंकार नही किया जा सकता कि हमारे लिए कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य मानव की एक बुनियादी ज़रूरतों में से एक है। जैसाकि विदित है 28 अप्रैल व्यापक तौर पर इस उद्देश्यपूर्ति के लिए है। हालांकि सन 1996 से ही इस दिन को वैश्विक तौर पर उन लोगों की शहादत दिवस के तरह भी मनाया जाता रहा है, जिन्होने समय-समय पर व्यापार संघ आंदोलनों के दौरान अपनी जानें गंवाई।
जैसाकि सर्वविदित है कि एक इंसान अपने जीवन का एक बड़ा भाग रोज़ी-रोटी कमाने के लिए कार्यस्थल पर व्यतीत करता है। लेकिन दुर्भाग्यवश ये भी सही है कि कुछ लोगों के लिए कार्यस्थल पर जान जोखिम डालना या फिर गंभीर परिस्थितियों का सामना करना, जीवन का कटु सत्य बन कर सामने आता है।
किसी भी व्यावसाय में, चाहे आप एक नियोक्ता हैं, अथवा एक कामगार। कार्यस्थल पर स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण, हर रूप से आपके काम के प्रदर्शन में इजाफा करता है, इसलिए यह आपके जान-माल के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जाना चाहिए। जहाँ एक ओर एक नियोक्ता के तौर पर, आप ही अपने व्यावसाय से जुड़ें सभी निर्णय लेने के ज़िम्मेदार होते हैं, इसलिए कार्यस्थल पर सुरक्षा व स्वास्थ्य से जुड़ें सभी मानकों को पूरा करना आपका उत्तरदायित्व होता है। वहीं दूसरी तरफ, एक कामगार के तौर पर आपसे अपेक्षित है कि आप अपने कार्यस्थल पर तय सभी नियमों- कायदों का सही-सही पालन करें, अपने सभी अधिकारों की जानकारी रखें, और अपने साथ-साथ दूसरों की सुरक्षा संबंधी बातों का भी पूरा-पूरा ख्याल रखें।
अंर्तराष्ट्रीय श्रम संगठन, संयुक्त राष्ट्र की एक ऐजेंसी है, जिसका गठन पेशेवर जगत क्षेत्र से सरोकार रखने वाली सभी तरह की बातों व समस्याओं के लिए किया गया है। यह अंर्तराष्ट्रीय श्रम मानकों को तय करती है, साथ ही इसका कार्य कार्यस्थल पर कामगारों के अधिकारों व उपयुक्त रोज़गार अवसरों को प्रोत्साहित करना, सामाजिक सुरक्षा को विकसित करने हेतु काम करना और कार्य व कार्यस्थल से संबंधित विष्यों पर संवाद को मजबूत करना है।
वर्ष 2003 में अंर्तराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कार्यस्थल पर कामगारों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं और इस दौरान उन्हें होने वाली गंभीर बीमारियों की तरफ दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने, और इसके रोकथाम हेतु उपाय करने के लिए 28 अप्रैल को विश्व कार्यस्थल पर सुरक्षा व स्वास्थ दिवस के तौर पर मनाए जाने की घोषणा की। जून 2003 में आयोजित अंर्तराष्ट्रीय श्रम सम्मेल निष्कर्ष में सम्मिलित है कि इस दिवस का आयोजन संगठन की पेशेवर सुरक्षा व स्वास्थ्य की वैश्विक रणनीति के अभिन्न अंग के तौर पर किया जाता है। वैश्विक रणनीति के प्रमुख स्तंभों में एक समर्थन विश्व सुरक्षा दिवस है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार, ऐसा अनुमान लगाया गया है कि हर रोज़ दुनिया भर में व्यावसायिक दुर्घटनाओं और कार्यस्थल के कारण होने वाली बीमारियों के कारण लगभग साढ़ें छह हजार लोग मार जाते हैं। और अगर इससे संबंधित प्रतिवर्ष के आंकड़ों की बात करें तो यह 23 लाख के आस-पास पहुँच जाता है। इतना ही नही, प्रतिवर्ष व्यावसायिक स्थल पर होनेवाली दुर्घटनाओं का आंकड़ा 31 करोड़ तक पहुँच जाता है। इनमें से बहुत तो ऐसी होती हैं, जिनके कारण कामगारों को लंबे समय के लिए काम से हाथ धोना पड़ता है और उनकी सामने अपने जीवनव्यापन के लिए गहरा संकट उत्पन्न हो जाता है। अतः इस विषय के बारे में जनसाधारण के बीच जागरूकता बढ़ाना अति आवश्यक है और यहीं इस दिवस का प्रमुख उद्देश्य है।
कोराना-काल ने पूरी दुनिया में मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति सचेत कर दिया है। हमें यह भली-भांति समझ आ चुका है कि किसी भी संक्रामक स्थिति को और भी भयावह स्थिति में पहुँचाने में की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है। अतः ऐसे सुरक्षा संबंधी उपायों पर पहले से अधिक गंभीरता से विचार करना आवश्यक हो गया है। वर्ष 2022 में इस दिवस को कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य की प्रकृति के प्रकृति सामाजिक संवाद को बढ़ाने पर केन्द्रित करते हुए मनाया गया। अंर्तराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा कार्यस्थल पर मौजूद ख़तरों को चार श्रेणियों में रखा गया हैः 1. भौतिक ख़तरें 2. रासायनिक ख़तरें 3. जैविक ख़तरें 4. एर्गोनोमिक ख़तरें।
भौतिक ख़तरों से तात्पर्य शोर, कंपन, विकिरण और तापमान से शरीर को पहुँचने वाले नुकसान से है। जबकि रासायनिक में ख़तरनाक रसायनों में संपर्क में आने से है। इसी तरह जैविक ख़तरों में बैक्टीरिया, वायरस और कवक जैसी संक्रामकता के संपर्क में आने से है। एर्गोनोमिक ख़तरें में अजीब तरह के मूवमेंट्स व मुद्राओंऔर भारउठाने के कारण होने वाले विकार शामिल किए गए हैं। कार्यस्थल के ख़तरों से बचाव के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते हैं। इस दिशा में सबसे प्रभावशाली उपाय व्यापक रूप से तैयार की गई सुरक्षा व स्वास्थ्य प्रणाली का प्रभावशाली ढंग से कार्यान्वयन है।
इस दिवस के प्रति भारत सरकार भी प्रतिबद्ध है, और समय-समय पर इससे संबंधित निति-नियमों को निर्धारित कर सभी कामगारों के अधिकारों को सुरक्षित करती है। हमारे देश की सरकार का भी मानना है कि औद्योगिक जगत में काम करने वाले कामगारों की सुरक्षा और स्वास्थ का प्रभाव सीधे तौर पर देश की उत्पादकता, आर्थिक व सामाजिक विकास पर पड़ता है। इसलिए कार्यस्थल पर उच्च सुरक्षा व स्वास्थ्य मानक उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने कि नए व मौजूदा उद्योगों के लिए अच्छा प्रदर्शन करना।