राष्ट्रीय सूचना स्वतंत्रता दिवस

सरकारी-तंत्र द्वारा अपनी शक्ति का ग़लत इस्तेमाल करना, किसी भी देश के लिए एक बहुत गंभीर बीमारी की तरह है। एक ऐसी बीमारी जो पूरे देश को खोखला बनाने की ताकत रखती है। सरकार में पारदर्शिता बनाए रखने के प्रयास दुनिया भर के देशों में किए जाते रहे हैं। सरकारी पारदर्शिता के प्रयासों का एक परिणाम हमारे सामने अमेरिका द्वारा 16 मार्च को राष्ट्रीय सूचना स्वतंत्रता दिवस को मनाया जाना है।
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सरकारी-तंत्र में पारदर्शिता की शपथ को दोहराने का दिन Image Credits: https://encriypted-tbn0.gstatic.com

सूचनाओं को पारदर्शी करने वाले अमेरिकी सरकार के अधिनियमकी याद दिलाता है, राष्ट्रीय सूचना स्वतंत्रता दिवस। यह कानून सरकार की पारदर्शिता को अमेरिकी नागरिकों के अधिकार के तौर पर सुरक्षित करता है। इस अधिनियम का आधार यह है कि धोखेबाज भाग तो सकते हैं, लेकिन वे लंबे समय तक छुप नही सकते। इस अमेरिकी कानून के तहत कोई भी भ्रष्ट्राचार को उजागर करने के लिए, किसी भी सरकारी कार्यालय से जानकारियों की मांग कर सकता है।

यह सत्य किसी से भी छुपा नही है कि अक़सर शक्तिशाली लोग द्वारा अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने पद का ग़लत तरीके से उपयोग किया जाता है। एक लोकतांत्रिक देश के लिए यह किसी गंभीर बीमारी की तरह है। लेकिन अब फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन एक्ट की वजह बेईमानी को छुपा लेना बिल्कुल भी आसान नही है। यह कानून अमेरिकी जनता को उन भ्रष्ट अधिकारियों की बदनीयत से सुरक्षित करता है जो आम जनता जमा की गई आयकर की राशि पर सेंध लगाने की साजिश रचते हैं।

सूचना की स्वतंत्रता महत्व की बात करे तो यह इस बात को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि जनता सरकार के पास मौजूद जानकारी से अच्छी तरह से परिचित हो। सूचना प्राप्त करने का अधिकार इतिहास में बहुत-से लोगों की इस दिशा में की गई समर्पित मेहनत का परिणाम है। इसके लिए आवाज उठाने वालों में सबसे पहला नाम अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति जेम्स मेडीसन जूनियर का आता है।

इस दिवस के लिए भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जेम्स मेडीसन जूनियर (1751-1836) के जन्मदिन को चुना गया। उन्होने सरकार में पारदर्शिता की पूरे जोर-शोर से वकालत की थी। उन्होने कहा था, "क्योकि यह अमेरिकी जनता की सेवा के लिए है, इसलिए उनके लिए कुछ भी रहस्य नही रहना चाहिए।" इस दिवस को उनके जन्मदिन पर मनाए जाने का उद्देश्य अमेरिकी संविधान में पारदर्शिता को बनाए रखने में उनके योगदान को याद करना भी है।

अमेरिका में राष्ट्रपिता के नाम से पहचाने जाने वाले राष्ट्रपति मेडिसन जूनियर के बारे में प्राप्त जानकारी के अनुसार, उनका जन्म पोर्ट कैनवे वर्जिनिया में हुआ था। उनका पालन-पोषण तंबाकू की खेती करने वाले परिवार में ग्यारह छोटे भाई-बहनों के साथ हुआ था। पिता की मृत्यु के बाद उन्होने तंबाकू की खेती के व्यावसाय को अपनाया और अपनी मेहनत के बल ख़ेती के क्षेत्रफल को 5000 एकड़ तक बढ़ा कर उस समय ऑरेंज काउंटी, वर्जिनिया के सबसे बड़ें भूमि मालिक और क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में आ गए।

आगे चलकर जब उन्होने यूनाइटेड स्टेट्स के संविधान का ड्राफ्ट और यूनाइटेड स्टेट्स बिल ऑफ राइट्स को तैयार किया, तो उन्हें फादर ऑफ द नेशन का नाम मिला। उस समय में वे इस बात को बुलंद आवाज में कहते थे, "नई गठित सरकार को अपने लोगों से, जिनकी सेवा के लिए उसे बनाया गया है, कुछ भी नही छिपाना चाहिए।" इनकी मत्यु 28 जून,1836 को इनके मॉन्टपिलर एस्टेट में हुई थी।

वैसे इस दिन को कानून की शक्ल सन 1966 में कॉंग्रेस द्वारा फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन एक्ट को कानून में पारित किया गया। इसके एक साल के बाद यह कानून प्रभावशाली हो गया। कैलीर्फोनिया से डेमोक्रेटिक पार्टी के कॉग्रेंसमैन प्रतिनिधि जॉन मोज़ ने शीत-युद्ध के बाद प्रशासनिक रहस्यवादिता के दौर में फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन एक्ट के अभियान का नेतृत्व किया।

राष्ट्रपति जॉनसन ने 4 जुलाई 1966 को फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन (विद डिस्कम्फर्ट) पर हस्ताक्षऱ किए। इस एक्ट के तहत एक लोकपाल को सरकार के कुप्रबंधन के बारे में लोगों द्वारा की गई शिकायत को देखने और उसकी जांच करने के लिए नियुक्त किया गया। सन 2018 में स्कॉट प्रुइट का मामला इस कानून के बहुत ही शक्तिशाली होने का उदाण बना। इस एक्ट के तहत पत्रकारों को उनके बारे में बहुत-सी ऐसी जानकारी मिली जिसके चलते उन्हें सरकारी पद से इस्तीफा देना पड़ा।

सूचना स्वतंत्रता दिवस लोगों को मुफ्त में सरकार से जुड़ी जानकारी को प्राप्त करने का जश्न  मनाता है। इस एक अधिकार ने आम लोगों के हाथों में सूचना के अधिकार को देकर उन्हें बहुत शक्तिशाली बना दिया है। उनके लिए सरकारी तंत्र पारदर्शी तो हुआ, साथ में एक राष्ट्र के शासन में हर एक व्यक्ति की भूमिका सशक्त भी हो गई।

यह बताता है कि देश के हर एक नागरिक को सरकार से जुड़ें सभी तथ्यों को जानने का पूरा अधिकार है। यह अधिकार को लोगों की सरकार के बारे में सही निर्णय लेने में मदद करता है। यह उनके लिए यह भी सुनिश्चित करता है कि उन्होने जिस सरकार और प्रतिनिधियों का चुनाव सरकार को चलाने के लिए किया है, वे उनकी सेवा में किसी तरह की चूक नही कर रहे हैं।

इस कानून से जुड़ें कुथ तथ्यों की बात करें तो सबसे पहले सन 1766 में स्वीडन में फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन एक्ट पारित किया गया। तसन 1789 में फ्रांस का फ्रेंच डिक्लियरेशन ऑफ राइट्स ऑफ मैन आम जनता को यह अनुमति देता था कि वे सरकारी खर्चों की समीक्षा कर सकें। सन 1982 के समय में और बहुत-से देशों जैसे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड द्वारा फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन एक्ट को कार्यान्वित किया गया।

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