विश्व तंबाकू-निषेध दिवस

दुनिया-भर में बसने वाली संपूर्ण मानव जाति को जिन घातक बीमारियों का सामना आज के दौर में करना पड़ रहा है, उस सूची में कैंसर या कर्क रोग, स्ट्रोक और मधुमेह जैसी जीवन-भर दुख देने वाली और अक़सर जान जाने का कारण बनने वाली बीमारियाँ शीर्ष स्थान पर विराजमान हैं। कैंसर या कर्क रोग ख़ासकर मुँह के कैंसर का बड़ा कारण व्यापक स्तर पर तंबाकू का सेवन करना है। इसके बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिवर्ष 31 मई को तंबाकू-निषेध दिवस मनाया जाता है।
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विश्व तंबाकू-निषेध दिवस | स्रोत: एनक्रिप्टेड

प्रति वर्ष मनाए जाने वाले इस दिवस के उद्देश्यों में, लोगों को तंबाकू-सेवन के जानलेवा ख़तरों से अवगत करवाना, तंबाकू व्यावसाय में शामिल कंपनियों पर नियंत्रण रखना, और इस व्यावसाय को फलने-फूलने से रोक लगाने के उपाय करना आदि शामिल हैं। साथ ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी इस पहल से जन-साधरण के बीच तंबाकू से उत्पन्न महामारी के प्रति जागरूकता फैलाना, बीमारी से पीड़ितों की लड़ाई में सहभागी बनना, उनके स्वस्थ जीवन जीने और अपनी आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित करने के अधिकार की रक्षा करने के साथ-साथ तंबाकू की खेती से वातावरण में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए उपाय करना शामिल हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्यों द्वारा सन 1987 में तंबाकू निषेध दिवस की शुरुआत, दुनिया का ध्यान इसके उपयोग से होने वाली गंभीर बीमारियों की ओर आकर्षित करने के ध्येय से की गई थी। वैसे सबसे पहले इस दिवस को 7 अप्रैल को मनाया गया था, लेकिन 31 मई 1988 विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संकल्प डब्लूएचए-42.19 पारित कर 31 मई को तंबाकू-निषेध दिवस मनाए जाने का निश्चय किया। शुरूआत में इस पहल का उद्देश्य था कि लोगों कम से कम 24 घंटे के लिए तंबाकू सेवन से बचने के लिए प्रेरित किया जाए। लेकिन बाद में हर साल इसे तंबाकू-निषेध दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा, वर्तमान में हर साल डब्लूएचओ इसे एक नई थीम के साथ मनाता है। वर्ष 2023 के लिए तंबाकू-निषेध दिवस की थीम हैः "छोड़ों और जीतों"।

तंबाकू सेवन करने वाले इसके क्षणिक नशे के धीरे-धीरे इतने आदी हो जाते हैं कि इस लत को चाह कर भी नही छोड़ पाते। तंबाकू में मौजूद नशा इंसान को अपनी ओर खींच कर मदहोश तो बनाता है, परन्तु शरीर पर बहुत से घातक प्रभाव भी डालता है। तंबाकू का असर शरीर के कई हिस्सों पर पड़ता है। यह हृदय की मांसपेशियों को संकुचित कर हृदय-गति, रक्त-संचार में ऑक्सीजन की खपत को कम करने के साथ-साथ रक्तचाप को बढ़ा देता है। साथ ही रक्त में स्ट्रेस हार्मोन्स और एंडोरफिनो के स्तर को बढ़ा देता है। इसका असर स्नायु तंत्र के केन्द्र पर भी पड़ता है।

बात यहीं पर समाप्त नही होती, डॉक्टरों के मुताबिक कई प्रकार के कैंसर की बड़ी वजह तंबाकू का सेवन है। दुनिया-भर में सिर, मुँह, गले और फेफड़े के कैंसर के बढ़ते मामलों में बहुत बड़ा योगदान तंबाकू का सेवन है।

तंबाकू सेवन कई बीमारियों की वजह किस तरह से बनता है? आइए जानते हैं- तंबाकू का सेवन मुख्य रूप से चबाने वाले पदार्थों जैसे खैनी, गुटका आदि के तौर पर होता है, तो दूसरे रूप में इसका सेवन बीड़ी-सिगरेट, पाइप-सिगार में तंबाकू भर कर किया जाता है। दोनों ही तरह से ये व्यक्ति के लिए घातक साबित होता है। मुंह में रखकर इसे चबाने से व्यक्ति कुछ क्षणों के लिए इसके नशे से आनंद महसूस करता है। लेकिन जब लंबे समय तक इसे मुँह में रखा जात है तो इससे तंबाकू में मौजूद कार्सिनोजेनिक रसायन मुँह के संपर्क में आते हैं। ये रसायन मुँह की कोशिकाओं में मौजूद डीएनए को बुरी तरह प्रभावित कर कैंसर जैसे रोगों का कारण बन जाते हैं।

ठीक इसी तरह से जब सिगरेट आदि के धुँए के तौर पर तंबाकू का सेवन किया जाता है तो ये मुँह ही नही बल्कि कई तरह के कैंसर का कारण बन सकता है। डॉक्टरों के अनुसार जब लोग सिगरेट पीते हैं, तो सिगरेट के धुँए में मौजूद कार्सिनोंजेंस नामक पदार्थ आपके फेफड़ों के टिशू को तेजी से बदलना शुरू कर देता है। शुरुआत में शरीर इससे होने वाले नुकसान को अपने आप ठीक कर लेता है। लेकिन लंबे समय तक ऐसी स्थिति में रहने से कोशिकाएँ असमान्य तौर पर काम करना शुरू कर देती हैं, जो कैंसर का कारण बनता है। ऐसा नही है कि अगर आप किसी भी तरह से तंबाकू का सेवन नही करते हैं तो आप कैंसर जैसी बीमारी की चपेट में नही आ सकते, कभी-कभी ध्रूमपान करने वालों के आस-पास रहना भी आपके लिए घातक साबित हो सकता है।

अगर भारत की बात की जाए तो इस संबंध में स्थिति बहुत ही गंभीर बनी हुई है। तंबाकू सेवन का बड़े पैमाने पर उपयोग हर साल बहुत बड़ी संख्या में लोगों को कैंसर या इससे होने वाली गंभीर बीमारियों का शिकार बना देता है। और बहुत-से लोग तो इसमें अपनी जान तक गंवा बैठते हैं। तो आइए हम प्रण लें कि इस तंबाकू-निषेध दिवस पर हम न तो स्वयं इसका सेवन किसी भी रूप में करेगें और न ही अपने प्रियजनों और जान-पहचान के लोगों को इसका सेवन करने देंगें। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी इस दिवस को मनाने के पीछे यही मूल कारण हैं। संगठन के इस मक़सद को पूरा करने में हम सभी को अपना योगदान देना चाहिए।

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