विश्व सामाजिक कार्य दिवस
वैश्विक स्तर पर 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी। तब से हर साल समाज को दीमक की तरह खोखला बनाने वाली सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव और असमानता समाप्त करने के सामूहिक प्रयास के प्रतीक के रूप में इसे हर साल मनाते है।
वैश्विक स्तर पर 20 फरवरी को 'विश्व सामाजिक न्याय दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2009 में हुई थी। तब से हर साल समाज को दीमक की तरह खोखला बनाने वाली सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव और असमानता को समाप्त करने के सामूहिक प्रयास के प्रतीक के रूप में इसे मनाया जाने लगा। अब प्रश्न यह आता है कि क्या वैश्विक समुदाय ऐसे समाज का निर्माण करने की ओर सच मे अग्रसर है जिससे सामाजिक न्याय की आवश्यकता सच मे है,
सच तो यह है कि अभी भी हम इस लक्षित उद्देश्य से कोसों दूर हैं। सामाजिक न्याय की परिकल्पना यथार्थ सच मे तब बदलेगी जब समाज के हर वर्ग का व्यक्ति भय, शोषण, अन्याय और भेदभाव से मुक्त हो जायेगा। प्रत्येक के पास बेहतर आजीविका और सामाजिक सुरक्षा होगी। ऐसा तभी संभव है जब हम अपने ऐसे सामूहिक और स्वंम के प्रयासों में तेजी लाएंगे और पूरे समाज को प्रेरित करते हैं।
विश्व सामाजिक कार्य दिवस का इतिहास
साल 2007 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा एक प्रस्ताव पारित कर हर साल 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाने की घोषणा की गई थी। इसके दो साल बाद पहली बार साल 2009 में विश्व सामाजिक दिवस मनाया गया। विश्व सामाजिक न्याय दिवस को सफल बनाने के लिए कई देश एक साथ मिलकर बेरोजगारी, गरीबी, जाति भेदभाव, लिंग और धर्म के नाम पर बंटे लोगों को एकजुट करने की कोशिश करते हैं। हमारे भारत देश में सदियों से लोगों को समान अधिकार देने का विधान रहा है। और यह प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार भी है। इसके लिए भारतीय संविधान में सामाजिक असमानता को खत्म करने के लिए कई प्रावधान हैं।
विश्व सामाजिक कार्य दिवस का महत्व
आधुनिक समय में दौरान विश्व सामाजिक न्याय दिवस का महत्व और बढ़ गया है। समाज में यह जागरूकता फैलाने की जरूरत है कि सभी एक हैं और सभी के समान अधिकार है। और किसी में भी कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए। इसके लिए भारत सरकार भी कई योजनाएं चला रही हैं। इसके अंतर्गत लोगों को समान अधिकार देने की कोशिश की जा रही है। साथ ही समाज में व्याप्त असमानता को जड़ से समाप्त करना है। इससे समस्त समाज का एकसाथ विकास होगा।
दुनिया से बुराई खत्म करने के लिए विश्व सामाजिक न्याय दिवस की शुरुआत की गयी थी। इसे मनाने का उद्देश्य लोगों को इस दिन कई तरह के कार्यक्रमों के आयोजन से लोगों को जागरूक करना। भारत का संविधान बनते वक्त सामाजिक न्याय का खास ध्यान रखा गया था। इसमें सामाजिक दूरी को खत्म करने के लिए भी कई प्रावधान मौजूद हैं। भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए प्रभावी कदम उठा रही है।
पूरे विश्व के बहुत से देशों में आज भी बहुत सारी प्रथाएं ऐसी हैं, जहां समान रूप से न्याय मिल पाना आज भी सम्भव नहीं है। भारत की बात करें तो यहां भी बहुत सी प्रथाएं ऐसी हैं जहां लिंग,जाति और आर्थिक स्तर के आधार पर समान रूप से न्याय मिल पाना मुश्किल है। इसके चलते लोगों के अधिकारों का हनन भी हो रहा है। ऐसे लोगों को समानता का अधिकार मिल सके, इसके लिए राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बाल विकास आयोग के साथ कई अन्य गैर सरकारी संगठन भी अपने-अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं।