संत पैट्रिक दिवस

दुनिया-भर में धर्म से जुड़ें अनगिनत धार्मिक त्यौहार मनाएं जाते हैं। इस सूची में आयरिश लोगों द्वारा संत पैट्रिक के सम्मान में मनाया जाने वाला संत पैट्रिक दिवस भी शामिल है। मौलिक-तौर धार्मिक दावतों और सेवाओं के साथ मनाया जाने वाला यह त्यौहार समय के साथ आयरिश संस्कृति एक धर्म-निरपेक्ष उत्सव तब बन गया जब यह संयुक्त राज्य अमेरिका में बसे आयरिश प्रवासियों के साथ वहां पर गया, और वहां की संस्कृति में रच-बस गया।
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जश्न मनाते लोग  Image Credit: https://encryptedtbn0.gstatic.com

संत पैट्रिक दिवस आयरिश संस्कृति का एक उत्सव है, जिसे दुनिया भर के आयरिश लोगों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन धार्मिक अवकाश की परंपरा करीब हजार साल बनी हुई है। संत पैट्रिक की पुण्यतिथि को संत पैट्रिक दिवस के नाम से मनाया जाता है। यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक त्यौहार है। आज के समय में इस दिन आयरलैंड, उत्तरी आयरलैंड, कनाडा के न्यूफ़ौंडलैंड और लेब्राडोर और ब्रिटीश राज्य क्षेत्र मोन्त्सेर्राट में सार्वजनिक छुट्टी होती है। इस त्योहार को आयरिश संस्कृति के लोग, जो व्यापक स्तर पर यू.के, कनाडा, यूनाइटेटड स्टेट्स अर्जेनटिना, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में रहते है, मनाते हैं।

संत पैट्रिक दिवस के त्यौहार को मनाने की शुरुआत सन 1631 में तब की गई थी जब कैथलिक चर्च द्वारा संत पैट्रिक के सम्मान में भोज का आयोजन किया गया। संत पैट्रिक एक मिशीनरी थे, जिनको आयरलैंड में ईसाई धर्म के आगमन और उसको विकसित करने का सारा श्रेय जाता है। उनकी मृत्यु पांचवीं शताब्दी के आस-पास के समयकाल में हुई थी। इस दिन को आयलैंड में ईसाई धर्म के आगमन के जश्न के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन आम लोगों द्वारा  आयरिश संस्कृति व धरोहर का प्रदर्शन कर इस उत्सव को मनाया जाता है।

अब सवाल यह है कि आख़िर संत पैट्रिक कौन थे? संत पैट्रिक के बारे में जो कुछ भी जानकारी उपलब्ध है, वह डिक्लिरेशन से प्राप्त है। ऐसा माना जाता है इस डिक्लेरेशन को स्वयं उन्होने ही लिखा था। इसमें वे अपने बारे में बताते हैं कि उनका जन्म रोमन ब्रिटेन में चौथी शताब्दी में एक बहुत ही सपन्न रोमन ब्रिटीश परिवार में हुआ था। उनके पिता कैथलिक चर्च में एक उपयाजक, तो दादा पादरी थे। इस डिक्लिरेशन के अनुसार जब संत पैट्रिक मात्र सोलह वर्ष के थे, तो उनका अपहरण एक आयरिश आक्रमणकारी ने कर लिया था। उन्हें छह साल तक आयरलैंड में बंदी बनाकर रखा गया। वहां उन्होने एक चरवाहे के तौर पर काम किया। इस दौरान उन्हें ईश्वर के दर्शन हुए। डिक्लरेशन में आगे बताया गया कि ईश्वर ने ही पैट्रिक को बताया कि वे वहां से भागकर समुंद्र तट पर जाएं। वहां पर एक जहाज उन्हें घर पहुंचाने के लिए इंतज़ार कर रहा है। घर पहुंचने के बाद, पैट्रिक ने पादरी बनने के लिए अध्ययन और एक बिशप बन गए। आयलैंड से भागते समय उन्होने एक वायदा दिया था कि वे वहां लौटकर ज़रूर आऐगें।

आगे की कहानी बताती है कि पैट्रिक लौटकर वापिस आयलैंड ईश्वर को न मानने वालों को ईसाई बनाने के लिए आए थे। उन्होने अपने बहुत-से साल संपूर्ण उत्तरी आयलैंड के करीब आधे क्षेत्रफल में ईसाई-मत प्रचार किया, और हजारों की संख्या में आयरिश लोगों को ईसाई बनाया। उन्होने स्कूलों और मठों आदि के निर्माण का भी काम किया।

आख़िरकार संत पैट्रिक के प्रयासों ने इतना बड़ा रूप धारण कर लिया कि इसे एक उदाहरण के तौर पर प्रयोग किया जाने लगा कि संत पैट्रिक उन सांपों को भी आयरलैंड से बाहर निकालने की शक्ति रखतें हैं, जिनके बारे में यह सर्वविदित है कि वे उस क्षेत्र में नही पाएं जाते। कुछ लोगों का मानना था कि इस किवदंती में सांप से मतलब पूंजीवादियों और डरुड्स से था।

संत पैट्रिक की मृत्यु 17 मार्च के दिन हुई और उनको डाउन पैट्रिक में दफ़नाया गया। बीतते समय के साथ संत पैट्रिक से जुड़ी बहुत-सी किवदंतियां फैलने लगी और वे आयलैंड के सबसे महत्वपूर्ण संत बन गए।

बीसवी शताब्दी की शुरूआत तक आयलैंड में संत पैट्रिक दिवस पर क्रॉस पहनने प्रचलित प्रथा थी। यह काग़ज़ से बना एक सेल्टिक क्रिश्चियन क्रॉस था, जो रेश्म या तरह-तरह के रंगों के फ़ीतों से ढंका होता था और इसके केन्द्र में एक हरे रंग का गुच्छा या रोसेट होता था। परन्तु आज यह प्रथा समय की धूल में धूमिल हो चुकी है।

आज एक समय में यह एक धार्मक त्यौहार है जिस दिन लोग हरे वस्त्र, शेमरॉक और हरे रंग के सजावटी सामानों को पहनकर परेड निकालते हुए आयरिश संगीत सत्र (सलीथे) के साथ जश्न मनाते हैं। भोज और नृत्य सभाएं भी कभी इस त्यौहार का हिस्सा थी। डबलिन में यह त्यौहार कई दिनों तक चलता है। लोगों के बीच दावतों का दौर चलता है, जिसमें तरह-तरह के पकवान जैसे सोडा रोटी, गोभी, मक्खनयुक्त बीफ़, आयरिश स्टू, कोलकाएन आलू हरी बियर और बर्तन-ओ-सोना (एक चॉकलेटी मिठाई) आदि शामिल होते हैं। इस दिन शराब के सेवन को अनिवार्य माना जाता है। आलम तो यह है कि इस दिन शराब पर लगे हर तरह के प्रतिबंध हटा दिए जाते हैं। कभी-कभी तो ऐसा भी होता है, बियर को भी लोग हरे रंग में रंग उसका सेवन करते हैं।

लेकिन इस त्यौहार को मनाने के तरीकों को लेकर इसकी आलोचना भी होने लगी है। हालांकि यह भी सत्य है कि अपनी रंगीनी और आकर्षण का केन्द्र होने की वजह यह पर्व बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। परन्तु शराब का बेहिसाब उपयोग और आज के समय में जश्न मनाने के नाम फ़ूहड़ता ज्यादा होने के कारण इसकी आलोचना भी होने लगी है।

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