भक्तों की आस्था का केंद्र जगन्नाथपुरी
भारत भर में मनाए जाने वाले महोत्सवों में जगन्नाथपुरी की रथयात्रा सबसे महत्वपूर्ण है। यह परंपरागत रथयात्रा न सिर्फ हिन्दुस्तान, बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं के भी आकर्षण का केन्द्र हैं। श्रीकृष्ण के अवतार जगन्नाथ की रथयात्रा का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर माना गया है। पुरी का जगन्नाथ मंदिर भक्तों की आस्था केंद्र है, जहां वर्षभर ' श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। जो अपनी बेहतरीन नक्काशी व भव्यता लिए प्रसिद्ध है। यहाँ रथोत्सव के वक्त इसकी छटा निराली होती है, जहां प्रभु जगन्नाथ को अपनी जन्मभूमि, बहन सुभद्रा को मायके का मोह यहां खींच लाता है। रथयात्रा के दौरान भक्तों को सीधे प्रतिमाओं तक पहुंचने का मौका भी मिलता है।
तिमनगढ़ का ऐतिहासिक दुर्ग
दुर्ग की कहानी कुछ अलौकिक जहां अलग-अलग राजाओं ने अपने अस्तित्व को रखने के लिए इस किले का नाम बदला और हर बार कुछ नया रखा आइए जानते है इसकी कहानी को। तिमण गढ़ राजस्थान, भारत के करौली ज़िले में स्थित एक लोकप्रिय दुर्ग है। तीमंगढ़ किला, हिण्डौनसिटी के पास मासलपुर तहसील के अन्दर स्थित है। इतिहासकारों का मानना है कि यहाँ निर्मित ये किला 1100 ई में बनवाया गया था जो जल्द ही नष्ट कर दिया गया
वायलिन का अनोखा इतिहास
संगीत जिसे एक आरामदायक अनुमति के रूप में सुना जाता है जो हमें किसी भी परिस्थिति में खुश करने के लिए प्रेरित करता है। जब हम इन मधुर धुनों को सुनते है तो मन आनंदित हो जाता। इन सुनहरी धुनों को विशेष प्रकार के वाद्य यंत्रों से बजाया जाता है। ऐसे वाद्य यंत्र हमारे संगीत की दुनिया अपनी अलग ही छाप छोड़ते हैं। जिसकी कोई सीमा नहीं है जो अपनी मधुर धुनों से सबको मोहित करते हैं। हर वाद्य यंत्र का एक अलग बनावट से बना होता है और वह उसे विशेष महत्व प्रदान करता है। हर साल 13 दिसंबर को राष्ट्रीय वायलिन दिवस पूरे विश्व भर में मनाया जाता है जो सबसे बहुमुखी वाद्य यंत्र के प्रभाव और सांस्कृतिक योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है, और इसलिए आज हम एक वाद्य यंत्र का सम्मान करते है, जिसे हम बेला के रूप में भी जानते है, आइए 13 दिसंबर के दिन को हम राष्ट्रीय वायलिन दिवस को दुनिया भर में पसंद किए जाने वाले धनुष वाले वाद्य यंत्र का जश्न मनाते है।
Shettihalli, the sinking cathedral
There are many such ancient places in our world that still make us think that a secret is never hidden, whether it is a dark cave, a ruined fort, an old mansion, or a beautiful underwater church. All of these have a story buried inside them. This is the story of one such mysterious place, Shettihalli, also known as “the drowning church.”
भारतीय पैदल सेना दिवस
कश्मीर घाटी में सेनानी दिवस, देश की आजादी के बाद अगर सेना की वीरता को देखा जाए तो वह 27 अक्टूबर 1947 का दिन था, जब उस दिन एक ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए भारतीय सेना द्वारा उसे मुकम्मल अंजाम दिया गया, जब पाकिस्तान द्वारा कश्मीर भेजे गए आदिवासी सैनिकों को भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट कि पहली बटालियन इन्फैंट्री ने आक्रमणकारियों को कश्मीर से बाहर निकाल फेंका, उस दिन हमारे भारतीय सेना के वीरों ने जम्मू-कश्मीर के बड़े हिस्से से घुसपैठियों को सफलतापूर्वक खदेड़ दिया और इन लुटेरों से जम्मू-कश्मीर के लोगों की रक्षा की। तभी से इस दिन को पैदल सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इन्फैंट्री के लिए यह पहली कार्रवाई थी, जिसे कश्मीर एक्शन के रूप में भी जाना जाता है इन्फैंट्री हमारी भारतीय सेना की सबसे बड़ी लड़ाकू शाखा है। जिसे युद्ध की रानी भी कहा जाता है जो भारतीय सेना की (रीढ़ की हड्डी) है लेकिन हम हर साल इस दिन को क्यों मनाते हैं? क्या कारण है? आइए जानते हैं इस दिन की कहानी को।
गोवर्धन पूजा का पर्व
गोवर्धन पर्व का हमारे हिंदू धर्म में बहुत महत्व है, यह पर्व कार्तिक मास की शुक्ल प्रतिपदा को दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा करते हुए मनाया जाता है। इस पर्व को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गोवर्धन पर्वत और भगवान श्रीकृष्ण के अलावा गौ माता की भी पूजा होती है। इस दिन गोबर का अन्नकूट बनाकर या उसके समीप विराजमान श्रीकृष्ण के सम्मुख गाय तथा ग्वाल बालों की पूजा की जाती है। यह ब्रज वासियों का मुख्य त्यौहार है। इस दिन मंदिरो में विविध प्रकार की खाद्य सामग्रियों से भगवान का भोग लगाया जाता है। यह पर्व हमें प्रकृति के साथ मानव का सीधा संबंध इस्थापित करता है, मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने देवराज इंद्र के अंहकार का नाश करने के लिए गोकुल निवासियों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया था, आइए जानते हैं गोवर्धन पर्व की कहानी को ।
भाई बहन का त्यौहार भाई दूज
भाई दूज के विषय में एक पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव और उनकी पत्नी संज्ञा को दो संतानें हुई जिनमें पुत्र यम और पुत्री यमुना थी सूर्य की पत्नी संज्ञा उनका तेज़ सहन नहीं कर पाई, इस लिए संज्ञा ने अपनी छाया उत्पन की और अपने पुत्र एवम पुत्री उसे सोप कर वहा से चली गई। छाया को अपनी संतानों से कोई मोह नहीं था परंतु भाई बहन में आपस में बहुत प्रेम था। उसी छाया से ताप्ती नदी तथा शनिश्चरा का जन्म हुआ । इसी छाया से अश्विनी कुमारो का भी जन्म बतलाया जाता है, जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं। इधर छाया का यम तथा यमुना से विमाता का व्यवहार होने लगा । इससे खिन्न होकर यम ने अपनी एक नई नगरी यमपूरी बसाई, यमपुरी में पापियों को दंड देने का कार्य संपादित करते हुए भाई को देखकर यमुना जी गो लोक चली आई जो कृष्णावतार के समय भी था।
करवा चौथ का अनोखा पर्व
हमारे भारत में ऐसी अनेकों परंपराएं प्रचलित जो हिंदू धर्म और मान्यताओं को दर्शाती है जो जीवन में एक अलग प्रकार की भावना व्यक्त करते हुए उस पर्व और उस रीति का सच्चे सद्गुण से सरोकार करती है और इन्हीं में से एक त्योहार है करवा चौथ। जो विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है करवा चौथ यह निर्जल व्रत के नाम से भी जाना जाता है इस साल यह अक्टूबर माह महीने में 13 तारीख के बीच में मनाया जाएगा, इस साल महिलाएं और नई पीढ़ी के साथ पुरुष भी एक दूसरे की लंबी उम्र की कामना के साथ अपने साथी के लिए व्रत रखने की तैयारी में हैं। हमारे हिंदू पंचांग के अनुसार यह दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा के बाद चौथे दिन मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत पारंपरिक रूप से दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, जम्मू, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों में मनाया जाता है। इसे आंध्र प्रदेश में अतला तड्डे के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व के संदर्भ में काफ़ी सारी कहानियां प्रचलित है आइए जानते है करवा चौथ के पर्व को।
विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस
पर्यावरण और प्रकृति, ये दोनों शब्द हमसे जुड़े हुए हैं, जिसके बिना मानव जीवन पूरी तरह से असफल है, स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वस्थ वातावरण का होना भी आवश्यक है, जैसे एक स्वस्थ शरीर आपको अपना काम करने की ऊर्जा देता है, उसी तरह पर्यावरण को भी उचित स्वास्थ्य देना आवश्यक है।