इश्किया गजनान मंदिर: लगाई जाती है जहां इश्क की अर्जियां

हमारे भारत में प्रेमी जोड़े अपने अधूरे प्रेम को सार्थक बनाने के लिए भगवान शिव की पूजा अवश्य करते हैं या इच्छित वर की प्राप्ति हेतु सोलह सोमवार का व्रत भी रखते हैं। लेकिन जोधपुर में इश्किया गजानन नामक एक मंदिर है, जिसमें अधूरी प्रेम कहानी को पूरा करने का कार्य विघ्नहर्ता श्री गणेश करते हैं। इस मंदिर में भगवान श्री गणेश प्रेमी जोड़ों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
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इश्किया गजनान मंदिर | स्त्रोत् : यूूथ ट्रेंड

हमारे भारत में मनचाहा वर पाने के लिए प्रेमी जोड़े शिव-शक्ति की आराधना करते हैं। इसके अलावा बहुत से प्रेमी जोड़े सोलह सोमवार का व्रत भी रखते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार वैवाहिक जीवन को सफल बनाने हेतु केवल शिव-शक्ति को पूजा जाता है लेकिन भारत के जोधपुर में स्थित इश्किया गजानन ऐसा मंदिर है जहां इश्क को मुकम्मल करने के लिए अर्जियां लगाई जाती हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान श्री गणेश को विघ्न दूर करने वाला देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है। भारत में शुद्ध प्रेम का प्रतीक राधा-कृष्ण, शिव-शक्ति को माना जाता है, जिन्हें हम मॉडर्न भाषा में ट्वीन फ्लेम या सोलमेट भी कहते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में बुधवार के दिन को वैलेंटाइन डे की तरह मनाया जाता है,क्योंकि इस दिन प्रेमी जोड़े काफी संख्या में आते है। मान्यता हैं कि इस दिन प्रेमी जोड़े भगवान श्री गणेश जो मनोकामना मांगने  हैं,वो जरुर पूरी होती है।

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इश्किया गजानन मंदिर में प्रेमी जोड़े | स्त्रोत् : एबीपी न्यूज

कहा जाता है कि जोधपुर का यह इश्किया गजनान मंदिर  करीब 100 साल पुराना है। शहर की संकरी गलियों में स्थित यह मंदिर देखने में बहुत ही छोटा है। पहले यह मंदिर गुरु गणपति के नाम से प्रसिद्ध था लेकिन कहते हैं ना इस संसार में सभी की नियति पहले से ही तय होती है, वैसे ही इस मंदिर का नाम भी इसकी नियति के अनुसार ही बदल गया। लोगों की किंदवती के अनुसार इस मंदिर के परिसर में प्रेमी जोड़े आकर बैठते थे और भगवान श्री गणेश से अधूरे प्रेम को पूरा करने के लिए अरदास किया करते थे। तभी से जोधपुर में प्रेमी जोड़े इस मंदिर में आकर भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं।

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पहले इस मंदिर को गुरू गणपति के नाम से जाना जाता था | स्त्रोत् : जागरण जोश

इस मंदिर की यह मान्यता है कि अगर प्रेमी जोड़े यहां आकर भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद लेते हैं तो वह जल्दी ही विवाह के बंधन में बंध जाते हैं। अगर कुछ प्रेमी जोड़ों के विवाह में विघ्न आ रहा हो तो वह यहां बुधवार के दिन आकर भगवान श्री गणेश को दुर्वा और सिंदूर चढ़ा सकते हैं। इस मंदिर में गणेश चतुर्थी से लेकर अन्नत चतुर्दशी तक मेला लगाया जाता हैं। प्रेमी जोड़ों की इस मंदिर पर अटूट आस्था है। मनोकामना पूरी होने के बाद भी कई प्रेमी जोड़े इस मंदिर में हाजरी लागाने जरुर आते हैं। क्योंकि वे मानते हैं कि इश्किया गणेश के आशीर्वाद से ही उनको प्यार में सफलता मिली है और वे विवाह के बंधन में बंध पाए हैं। इस मंदिर की ख्याति सिर्फ भारतीयों तक सीमित नहीं है बल्कि विदेशी पर्यटक भी इस मंदिर में माथा टेकने जरुर आते हैं।

अंतत: हमें यह संदेश मिलता है कि प्रेम संपूर्ण जीवन का सार है। पहले इस मंदिर को इश्किया गजानन के नाम से नहीं जाना जाता था, पहले इस मंदिर को गुरू गणपति के नाम से जाना जाता था। लेकिन जब से इस मंदिर में प्रेमी जोड़ों  का आना जाना शुरु हुआ तो इस मंदिर का स्वरुप ही बदल गया। इस मंदिर की नियति भी प्रेम के कारण बदल गई और विघ्नहर्ता गणेश को इश्किया गजानन के स्वरुप में बदलना पड़ा। इस दुनिया में प्रेम इतना ताकतवर है कि भगवान को भी अपना स्वरुप बदलने के लिए मजबूर कर देता है।

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