मातृ महासागर दिवस

हम सभी जानते हैं कि हमारी पृथ्वी का तीन तिहाई भाग पानी से ढका हुआ है। यह भी पूर्णतः सत्य है कि जीव-मात्र के जीवन की शुरूआत सबसे पहले पानी के भीतर हुई थी। जीवन के लिए ज़रूरी तत्व, जैसे बारिश, ऑक्सीजन, पर्यावरण, भोजन, नमक, मिनरल्स आदि हमें समुंद्र से ही प्राप्त होते हैं। इसलिए महासागर का महत्व हमारे जीवन में प्राण वायु के समान है।
images206.jpeg-0f4aef79.jpeg

पृथ्वी पर मौजूद समस्त जीवों के जीवन का आधारः  महासागर  Image credits :https://encrypted-tbn0.gstatic.com

हम सभी इस सत्य से भली भांति अवगत हैं कि जल ही जीवन है, अपितु ये कहना भी ग़लत न होगा कि जल से ही जीवन है। जल के सबसे बड़े स्रोत हमारे महासागर, जिनके हमारे जीवन में भूमिका और इनके सरंक्षण के लिए समस्त मानव जाति को जागरूक करने के लिए मातृ महासागर दिवस मनाने की शुरूआत की गई। हालांकि सन 2009 में पहली बार हमारे महासागर, हमारी ज़िम्मेदारी थीम के साथ 8 जून को मनाने का फैसला संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया गया। तब से इस दिवस को हर साल एक नई थीम जैसे, लिंग और महासागर, हमारे महासागर- हमारा भविष्य हमारा भविष्य को हरा करते हमारे महासागर के साथ मनाया जाता है।

लेकिन बीते कुछ समय पूर्व ही महासागरों के सुंदरता और उनके महत्व से भी दुनिया को परिचित करवाने के उद्देश्य से मातृ महासागर दिवस को  सामने लाया गया। महासागरों को मातृत्व भाव की दृष्टि से देखकर, मातृ महासागर की अवधारणा के बारे में सन 2013 में, पहली बार  साउथ फ्लोरिडा कयाक फिशिंग क्लब द्वारा सोचा गया, और मियामी शहर से इसके लिए एक दिन समर्पित करने की मंजूरी मांगी गई। तब इस दिवस को मनाने का उद्देश्य फ्लोरिडा के साफ़ सुंदर और सफेद रेत से ढंके समुंद्र तटों की सुंदरता का जश्न मानने की वजह की तरह देखा गया था। सफेद रेतीली भूमि वाले फ्लोरिडा   के समुंद्र तट अपनी सुंदरता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। इस दिवस का मूल उद्देश्य महासागरों की सुंदरता और इसके भीतर छिपे अनमोल जीव-जन्तु रूपी खजाने का जश्न मनाना है।

हम सभी जानते हैं कि हमारी पृथ्वी सात महासागरों, हिंद महासागर, उत्तरी प्रशांत महासागर, दक्षिणी प्रशांत महासागर, उत्तरी अटलांटिक महासागर, दक्षिणी अटलांटिक महासागर, दक्षिणी अटलाटिक महासागर और आर्कटिक महासागर से घिरी हुई है। इन सभी महासागरों ने मिलकर पृथ्वी को सत्तर प्रतिशत भाग को अपने अंदर समाहित किए हुआ है। आपके लिए ये जान लेना भी ज़रूरी है कि महासागर केवल जल ही नही अपितु दुनिया को जीवित रखने वाली कुल प्राण वायु ऑक्सीजन के आधा हिस्सें को बनाने का श्रेय भी धारण किए हुए हैं। इतना ही नही कार्बनडाइ जैसै गैस को अवशोषित करने की क्षमता जितनी हमारे वातावरण में है, उससे पचास गुणा अधिक क्षमता महासागरों में मौजूद है।

महासागरों के भीतर का संसार इतना रहस्यमयी है कि आज का इंसान भले ही कितने दावें कर ले कि वो पानी के भीतर की दुनिया को समझ और जान गया है। लेकिन सत्य यह है कि हम मानव जाति दुनिया भर जितने संग्राहालयों का निर्माण विभिन्न आश्चर्यनक व अनमोल वस्तुओं के प्रदर्शन के लिए किया है, वे समदर के भीतर समाहित अलग-अलग प्रजातियों के संग्राहलय के समक्ष एक तुच्छ कण के समान ही है।

आइए इस दिवस पर हम अपने महासागरों के बारे में कुछ रोचक जानकारियों से रू-ब-रू होते हैं।

इस धरती पर जितने ऑक्सीजन गैस की आवश्यकता संर्पूण प्राणियों को होती है, उस कुल का पचास प्रतिशत हमें अपने महासागरों से ही प्राप्त होता है। इसी तरह वो हमारे महासागर ही हैं, जो प्राणियों द्वारा छोड़ी जाने वाली कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस के तीस प्रतिशत भाग को अवशोषित कर लेते हैं, जो कि वैश्विक तौर पर बढ़ रही गर्मी का बड़ा कारण है। एक अनुमान के अनुसार सन 2030  दुनिया भर में लगभग 40 मिलियन लोगों की जिविका का आधार ये महासागर ही होने वाले है।

जैसाकि शुरूआत में बताया कि हमारे महासागर पृथ्वी के मौसम का संतुलन बनाए रखने में भी बहुत बड़ी भूमिका अदा करते हैं। वे ऐसा इसलिए कर पाते हैं, क्योकि घरती के बहुत बड़े हिस्सें को महासागरों ने ढंका हुआ है,  और निरंतर प्रवाह बने रहने के कारण वे इक्वेटर से गर्मी को दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव से लाने- ले जाने का काम करते हैं।

वैसे महासागर दिवस हो या मातृ महासागर दिवस दोनों का ही उद्देश्य काफी हद तक समान है, इसलिए इस दिन को आपको समान भाव से मनाना है। आइए, हम सभी मिलकर इस दिन प्रण ले कि हम अपने महासागरों के संरक्षण के लिए सदैव करते रहेगें और इनके तटों को सुंदरता को बनाए रखेगें।  वैसे अगर आपकी महासागरों के भीतर और उसके बाहर की दुनिया का आनंद लेने के उद्देश्य के साथ इस दिन को मनाते हैं तो यक़ीन मानिए ऐसा करके जीवन में एक अनमोल अहसास के साक्षी बनेगें।

वैसे व्यापक स्तर पर बात की जाए तो हमें इस पृथ्वी पर मौजूद महासागरों को अपने जीवन में उसी प्रकार महत्व देना चाहिए, जिस तरह हम जन्म देने वाली माता को देते हैं। महासागरों के कारण ही इस धरती व जल के नीचे भी, जितने भी जीव-जन्तु या प्राणी पनपते अथवा सांस लेते हैं, सभी के लिए जल के बिना जीवित रहना संभव नही होता। अतः मनुष्य को विवेकी होने से प्रमाण देते हुए महासागरों को किसी भी तरह से प्रदूषित होने से बचाने के लिए सदैव प्रयासरत रहकर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता को साबित करना चाहिए।

7 likes

 
Share your Thoughts
Let us know what you think of the story - we appreciate your feedback. 😊
7 Share